रामेश्वर के हिस्से की जमीन का पैसा देगी संस्था
दस साल बाद ‘जिंदा हुए रामेश्वर सिंह को उनके जमीन के बदले दूनी जमीन या फिर उसकी कीमत देने के लिए संस्था तैयार हो गई है। शुक्रवार को एसपी नार्थ की मौजूदगी में संस्था के संयुक्त सचिव ने इस पर अपनी सहमति दी। रामेश्वर सिंह ने पैसा लेने की बात कही। होली बाद इंस्पेक्टर सुधीर सिंह मौका मुआयना कर रेट तय कराने में मदद करेंगे।
पिपराइच के कोनी गांव निवासी रामेश्वर सिंह की अपने ग्राम सभा में कुशीनगर-गोरखपुर मुख्य मार्ग पर आठ डिसमिल जमीन है। रामेश्वर के भाई लालजी सिंह ने उन्हें मृत दिखाकर अपनी जमीन के साथ ही भाई के हिस्से की जमीन भी संस्था को दे दी थी। भाई की मृत्यु के बाद 2014 में रामेश्वर जब गांव आए तब उन्हें जानकारी हुई कि वह तो पहले से ही कागजों में मृत चल रहे हैं। उन्होंने खुद को जिंदा साबित करते हुए दस्तावेजों पर पहले अपना नाम चढ़वाया फिर जमीन पर कब्जा करने के लिए भाग दौड़ शुरू कर दी। उनका आरोप था कि मुख्य सड़क पर मौजूद 16 डिसमिल जमीन में उनके हिस्से की आठ डिसमिल जमीन देने के बदले संस्था के लोग उन्हें धमका रहे हैं। उनके हिस्से की जमीन पर निर्माण शुरू करा दिया था, जिसके बाद उन्होंने बुधवार को पुलिस को सूचना दी थी। पुलिस ने काम बंद कराने के बाद दोनों पक्षों को शुक्रवार को थाने पर बुलाया था।
यह हुआ फैसला
मामला हाईप्रोफाइल होने के पर एसपी नार्थ भी शुक्रवार को पिपराइच थाने पर पहुंच गए। उन्हीं के सामने दोनों पक्ष उपस्थित हुए। एक पक्ष से संस्था के ऑल इंडिया संयुक्त सचिव रमाशंकर शुक्ल और पूर्व चकबंदी अधिकारी, रिटायर्ड रेलकर्मी सहित अन्य लोग इकट्ठा हुए वहीं दूसरी तरफ से रामेश्वर सिंह अपने अधिवक्ता राहुल कुमार शुक्ला तथा अन्य लोगों के साथ पहुंचे। संस्था ने परिसर में निर्माण का हवाला देकर उसके बदले पीछे स्थित संस्था की 45 डिसमिल जमीन में से आठ की जगह 16 डिसमिल जमीन देने की बात कही। रामेश्वर इस पर तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि जिसके नाम जमीन है उसे आकर रजिस्ट्री करनी होगी और ऐसा हो नहीं पाएगा। जिसके कारण वह जमीन कभी भी मेरे नाम नहीं हो पाएगी। रामेश्वर ने इसलिए अपनी जमीन या फिर उसके बदले पैसे की बात कही, अगर संस्था जमीन नहीं लौटा सकती है तो उसे पैसा दे दे। सचिव व अन्य लोगों ने सर्किल रेट पर जमीन खरीदने की बात कही जिस पर सहमति नहीं बन पाई। थानेदार सुधीर सिंह ने कहा कि होली के बाद वह मौके का निरीक्षण करेंगे आस-पास के लोगों से बात करने के बाद यह तय होगा कि इस इलाके में जमीन की कीमत कितनी है उसके बाद अन्तिम फैसला होगा।
कोट
रामेश्वर का प्रकरण मेरे सामने आया था, संस्था जमीन के बदले दूनी जमीन या फिर पैसा दोनों में से कुछ भी देने को तैयार है। रामेश्वर ने पैसे पर सहमति जताई है। अब उनको क्या रेट चाहिए? कितना मिल सकता है उस पर वे लोग आपस में बात करेंगे। कोई हल नहीं निकलेगा तो जो कानूनी कार्रवाई होगी वह की जाएगी।
अरविंद पाण्डेय, एसपी नार्थ